कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था और कब
कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था और कब, कंप्यूटर का अविष्कार Charles Babbage ने 1822 में किया था हालाकि उसका डिजाइन वैसा नहीं था जैसा हम आज के कंप्यूटर में वैसे डिजाइन को दुनिया में लाने के लिए अभी बोहोत समय था लेकिन इस सबके बावजूद 1837 Charles Babbage ने एक नया कंप्यूटर सामने लाया जिसका नाम Analytical Engine रखा गया।
और कंप्यूटर बनाने के पीछे एक आकर्षक कहानी है। जिसमे वक्त के साथ बोहोत से शानदार लोगों का काम शामिल है। कंप्यूटर जिसे आज हम सभी जानते है किसी की दुनिया बदलने की एक सोच का नजरिया है जो आज सच साबित हो चुका है। जिसने न केवल दुनिया बल्कि विज्ञान को भी उच्च स्तरों पर पोहंचा दिया आइए जानते है आज के इस आर्टिकल में की कैसे हुआ था कंप्यूटर का जन्म।
Charles Babbage: ने किया था कंप्यूटर का अविष्कार
कंप्यूटर का आविष्कार कब हुआ? जरा सोचिए आप 1800 की दशक की शुरुआत में रह रहे हों जहां कैलकुलेशन हाथ से को जाती हो। उसी बीच एक चार्ल्स बैबेज नामक एक गणितज्ञ ने एक ऐसी मशीन का सपना देखा जो सारी गणनाएं खुद कर सके। उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने के लिए एक डिफरेंस इंजन नामक एक मशीनी उपकरण डिजाइन किया। लेकिन वह डिजाइन ज्यादा उन्नत भरा नहीं था इस लिए वो वहीं नहीं रुके वो मेहनत करते रहे और साल 1837 में उन्होंने और भी बेहतर और उन्नत मशीन जिसका नाम एनालिटिकल इंजन इंजन रखा गया का डिजाइन बनाया जो की दुनिया को बदल देने वाला था यह एक ऐसी मशीन का पहला ऐसा विचार था जिसे एडवांस कंप्यूटर की था अलग अलग कार्यों के लिए प्रोग्राम किया जा सकता था और अपने काम के लाया जा सकता था।
लेकिन अफसोस की बात यह है की बैबेज अपनी मशीन को कभी पूरी तरह से बनते और काम करते हुए नहीं देख पाए क्योंकि उस समय की तकनीक उतनी ज्यादा उन्नत नहीं थी। लेकिन उनके विचारों ने आने वाले युग के लिए एक ऐसा रास्ता खोल दिया जो दुनिया बदल देने वाला था।
Ada Lovelace: कंप्यूटर का आविष्कार दुनिया की पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर
गणितज्ञ और मशहूर कवि लॉर्ड बायरन की बेटी एडा लवलेस ने बैबेज के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने उनके डिजाइन में कुछ ऐसा देखा जो दूसरे लोग कभी नहीं देख पाए - उन्हें एहसास हुआ कि एनालिटिकल इंजन सिर्फ़ गणित ही नहीं बल्कि उससे ज़्यादा भी कुछ कर सकता है। साल 1843 में, उन्होंने मशीन के लिए संख्याओं की एक श्रृंखला की गणना करने के लिए निर्देशों का एक सेट लिखा, जिससे वह पहली व्यक्ति बन गईं जिसने वह लिखा जिसे आज हम अब "कंप्यूटर प्रोग्राम" कहते हैं। वह एक दूरदर्शी थीं, जिन्होंने कंप्यूटर के अस्तित्व में आने से बहुत पहले ही उनकी क्षमता को देख लिया था।
Alan Turing: वार का कंप्यूटर बनने पर असर
1930 और 1940 के दशक में आगे बढ़ते हुए, हम एलन ट्यूरिंग से मिलते हैं, जो एक ब्रिटिश गणितज्ञ हैं और जिन्हें आधुनिक कंप्यूटिंग के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उन्होने ट्यूरिंग ने एक सरल मशीन की कल्पना की थी, जिसे अब ट्यूरिंग मशीन के रूप में जाना जाता है, जो दिए गए निर्देशों का पालन करके कोई भी गणना कर सकती है। यह विचार कंप्यूटर विज्ञान की नींव बन गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ट्यूरिंग ने जर्मन एनिग्मा कोड को क्रैक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, यह एक ऐसा कार्य था जो मित्र राष्ट्रों की जीत के लिए आवश्यक था। इस उद्देश्य के लिए उन्होंने जिन मशीनों को विकसित करने में मदद की, वे कंप्यूटर के शुरुआती रूप थे, जो अधिक उन्नत डिज़ाइनों का मार्ग प्रशस्त करते थे।
पहला असली कंप्यूटर: ENIAC
दुनिया का पहला सच्चा इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर 1940 के दशक में बनाया गया था। सबसे पहले में से एक कंप्यूटर (इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कंप्यूटर) था जिसे जॉन डब्ल्यू. मौचली और जे. प्रेस्पर एकर्ट ने संयुक्त राज्य अमेरिका में बनाया था ये सभी इंजीनियर थे, इनकी बन हुई मशीन बोहोत विशाल थी इतनी विशाल जो एक बड़े कमरे को आसानी से भर देती थी लेकिन इसके बावजूद यह कुछ ही सेकंड में वह कर सकती थी जिसे गणना करने में इंसानों को दिनों या घंटो का समय लग जाता। हालाकि हर नए काम के लिए इस मशीन को शुरू से रिप्रोग्राम करना पड़ता था।
John von Neumann: आधुनिक कंप्यूटर के पीछे का दिमाग
कंप्यूटिंग में एक बड़ी सफलता कंप्यूटर की मेमोरी में निर्देशों को संग्रहीत करने के विचार के साथ आई, ठीक उसी तरह जैसे यह डेटा संग्रहीत करता है। इस अवधारणा को स्टोर-प्रोग्राम के रूप में जाना जाता है, जिसे 1940 के दशक के मध्य में जॉन वॉन न्यूमैन नामक एक हंगेरियन-अमेरिकी गणितज्ञ ने लोकप्रिय बनाया था। उनके विचारों ने अधिकांश आधुनिक कंप्यूटरों के लिए एक आउटलाइन तैयार कि, जहां एक ही मशीन अपने द्वारा चलाए जा रहे प्रोग्राम को बदलकर कई तरह के कार्य कर सकती थी।
आधुनिक कंप्यूटर का जन्म
आज के समय में इस्तेमाल किए जाने वाले कंप्यूटरों की तरह दिखने वाले पहले कंप्यूटर 1940 के दशक के अंत और 1950 के दशक की शुरुआत में आए थे। उदाहरण के लिए, 1948 में मैनचेस्टर बेबी पहली मशीन थी जो अपनी मेमोरी में डेटा और प्रोग्राम दोनों को स्टोर कर सकती थी। इसके कुछ समय बाद, 1951 में, यूनिवैक I (यूनिवर्सल ऑटोमैटिक कंप्यूटर I) पहला व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कंप्यूटर बन गया। यह एक बड़ी बात थी क्योंकि इसने दिखाया कि कंप्यूटर सिर्फ़ विशेष वैज्ञानिक कामों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी तरह के कामों के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
निष्कर्ष
कंप्यूटर की कहानी अविश्वसनीय दिमागों से भरी एक यात्रा है, जिन्होंने पहेली में एक-एक टुकड़ा जोड़ा है। चार्ल्स बैबेज के शुरुआती डिज़ाइन से लेकर एलन ट्यूरिंग की युद्ध-समय की मशीनों और पहले इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटरों के निर्माण तक, हर कदम हमें आज इस्तेमाल किए जाने वाले शक्तिशाली उपकरण लाने के लिए ज़रूरी था।
कंप्यूटर रातों-रात नहीं आए; वे समय के साथ कई लोगों की कड़ी मेहनत, कल्पना और दूरदर्शिता के ज़रिए विकसित हुए। उनके संयुक्त प्रयासों ने दुनिया को उन तरीकों से बदल दिया है जिसकी उन्होंने शायद ही कल्पना की हो, जिससे कंप्यूटिंग हमारे रोज़मर्रा के जीवन का एक केंद्रीय हिस्सा बन गई है।
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