रिलायंस कंपनी की स्थापना कब हुई | और कौन थे इसके स्थापक?

रिलायंस कंपनी की स्थापना कब हुई

रिलायंस कंपनी की स्थापना कब हुई
अगर आप यह सोच रहे हैं की रिलायंस कंपनी की स्थापना कब हुई  हम पूरे विस्तार से जानेंगे कि रिलायंस कंपनी की स्थापना कब हुई दोस्तों रिलायंस कंपनी इकलौती ऐसी कंपनी है जिसने भारत में पहली बार 4G इंटरनेट फ्री में उपलब्ध करवाया और लोगों को इंटरनेट की नई दुनिया में ले जाने में बहुत सहायता की। इस कंपनी ने बहुत से युवाओं को अपने करियर को आगे ले जाने और इंटरनेट की दुनिया और तरक्की की ओर जाने में बहुत ज्यादा सहायता की आज हम यह जानेंगे कि रिलायंस कंपनी की स्थापना कब हुई और इसके स्थापक कौन थे चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं इस आर्टिकल को।

रिलायंस कंपनी की स्थापना कब हुई: रिलायंस कंपनी का इतिहास

रिलायंस कंपनी की स्थापना कब हुई

रिलायंस इंडस्ट्रीज की आधिकारिक स्थापना 1966 में हुई थी। कंपनी की शुरुआत का पता धीरूभाई अंबानी द्वारा 1950 के दशक के उत्तरार्ध में स्थापित एक छोटे व्यापारिक व्यवसाय से लगाया जा सकता है। अगर बात धीरूभाई अंबानी की तो उनका जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड़ गांव में हुआ था। इन्होंने ही रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखी आपको बता दे इनका पूरा कुछ और है जो की है धीरजलाल हीराचंद अंबानी लेकिन फिर भी लोग उन्हें धीरूभाई अंबानी के नाम से ज्यादा जानते हैं जब इन्होंने व्यापार की दुनिया में अपना कदम रखा तब उनके पास कुछ भी नहीं था ना ढेरों पैसे न पूर्वजों की संपति उनके पास जो था वह एक बड़ा सपना था जो उन्होंने पूरा किया भी।

धीरूभाई अंबानी जी के पिता जी का नाम हीराचंदथा जो एक प्राइमरी स्कूल टीचर थे जिनकी कमाई बोहोत खास नहीं थी लेकिन धीरूभाई अंबानी जी ने अपने हौसले को कभी खोया नहीं उनके अंदर कुछ बड़ा करने का जनून था, आपको बता दें धीरूभाई अंबानी जी के मरने के बाद उनकी संपति के बटवारे उनकी पत्नी ने मुख्य भूमिका अदा की, धीरूभाई अंबानी जी ने 300 रुपए प्रति माह की तनख्वा पर भी काम कर रखा है सन 1948 में धीरूभाई अंबानी जी अपने बड़े भाई के साथ यमन सहर में गए वहा उन्होंने एक कंपनी में 300 रुपए प्रतिमाह की तनख्वा पर काम किया।

लेकिन धीरूभाई अंबानी जी के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था इस लिए वह 1954 में अपने देश वापिस लौट आए वापिस आने के एक साल बाद उन्होंने 500 रुपयों के साथ मुंबई जाने का मन बनाया और वहीं से उनकी बिजनेस की यात्रा सुरु हुई धीरूभाई अंबानी जी ने अपने चचेरे भाई के साथ एक कंपनी खोली जो कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी थी इस कंपनी की सहायता से उन्होंने बाहर के देशों में भारत से हल्दी मिर्ची और अन्य मसले एक्सपोर्ट किए और इसके बाद उन्होंने जो उड़ान भरी उसे हम सभी जानते हैं

इसके बाद जानकारी के अनुसार 1958 में 50 हजार की कीमत पर पॉलिएस्टर धागे को एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का व्यापार सुरु किया और इसी के साथ 15 हजार का निवेश करके उन्होंने रिलांयस कमर्शियल कॉरपोरेशन को बनाया 

प्रारंभिक दिन: कपड़ों से लेकर पेट्रोकेमिकल्स तक


धीरूभाई अंबानी ने शुरू में पॉलिएस्टर यार्न और मसालों का व्यापार किया। 1966 में उन्होंने रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन की स्थापना की, जो बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज बन गई। उन्होंने कपड़ों के उद्योग में कंपनी की शुरुआत करना एक गेम-चेंजर साबित हुआ। 1969 में, रिलायंस ने अहमदाबाद के नारोदा में अपना पहला कपड़ों का मिल स्थापित किया, जहां "विमल" ब्रांड के तहत पॉलिएस्टर फैब्रिक का उत्पादन शुरू किया गया । विमल फैब्रिक की गुणवत्ता और वहनीयता ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की, जिससे रिलायंस भारत के कपड़ों के बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी बन गया।

कपड़ों में मिली सफलता ने आगे के लिए उनकी रणनीति और विस्तार की नींव रखी। 1970 और 1980 के दशकों में रिलायंस ने पेट्रोकेमिकल्स, रिफाइनिंग और दूरसंचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तन किया। इसकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर 1981 में इसके पहले पेट्रोकेमिकल संयंत्र की स्थापना थी। यह कदम रिलायंस की अत्यधिक पूंजी-गहन और तकनीकी रूप से जटिल पेट्रोकेमिकल उद्योग में प्रवेश का प्रतीक था, जो इसके व्यवसाय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।

धीरूभाई अंबानी का विजन और विरासत


धीरूभाई अंबानी की दृष्टि मात्र व्यापारिक सफलता से परे थी। उन्होंने विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा बनाने और विकास को प्रेरित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में विश्वास किया। पूंजी जुटाने के उनके दृष्टिकोण ने नवाचार किया; रिलायंस घरेलू पूंजी बाजार में महत्वपूर्ण रूप से प्रवेश करने वाली पहली भारतीय कंपनियों में से एक थी। 1977 में कंपनी का प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसने भारत में शेयर स्वामित्व का लोकतंत्रीकरण किया और भविष्य के कॉर्पोरेट वित्त पोषण के लिए एक मिसाल कायम की।

धीरूभाई अंबानी का 2002 में निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत रिलायंस इंडस्ट्रीज की निरंतर सफलता और विस्तार के माध्यम से जीवित है। उनके पुत्र, मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने कंपनी की बागडोर संभाली, जिसमें बाद में मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बने।

आधुनिक युग और वैश्विक उपस्थिति


मुकेश अंबानी के नेतृत्व में, रिलायंस ने वृद्धि और नवाचार जारी रखा है। कंपनी ने विभिन्न उद्योगों में महत्वपूर्ण निवेश के साथ अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार किया है। विशेष रूप से, 2016 में रिलायंस जियो का लॉन्च भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में क्रांति लेकर आया, जिसने सस्ती और उच्च गति वाली इंटरनेट सेवाएं प्रदान कीं और देश के डिजिटल परिदृश्य को बदल दिया।

1966 में धीरूभाई अंबानी द्वारा स्थापित रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड दूरदर्शी उद्यमिता और उत्कृष्टता की निरंतर खोज का प्रमाण है। एक वस्त्र निर्माता के रूप में अपनी विनम्र शुरुआत से, यह एक वैश्विक समूह कंपनी बन गई है, जिसके विविध हित हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। नवाचार, महत्वाकांक्षा और रणनीतिक सोच की धीरूभाई अंबानी की विरासत आधुनिक व्यापार जगत की चुनौतियों और अवसरों को नेविगेट करते समय रिलायंस का मार्गदर्शन करना जारी रखे हुए है।

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