जब तीसरी बार पीएम बनेंगे मोदी तो करेंगे ये 4 बड़े बदलाव, प्रशांत किशोर का दावा।

जब तीसरी बार पीएम बनेंगे मोदी तो करेंगे ये 4 बड़े बदलाव, प्रशांत किशोर का दावा। कहा इस बार फिर्से मोदी सरकार।

जब तीसरी बार पीएम बनेंगे मोदी तो करेंगे ये 4 बड़े बदलाव, प्रशांत किशोर

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर दावा किया है कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इंडिया टुडे को दिए एक विस्तृत इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा कि मोदी 3.0 में चार बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं ये संभावित बदलाव और कैसे ये बदलाव भारत के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं:


1. पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी (GST)के दायरे में लाना।


वर्तमान स्थिति:
वर्तमान में पेट्रोलियम उत्पादों जैसे पेट्रोल और डीजल पर राज्य सरकारें और केंद्र सरकार अलग-अलग टैक्स लगाती हैं। इन पर 100% से ज्यादा टैक्स लगता है, जो कि आम लोगों के लिए एक बड़ा बोझ है। लंबे समय से इन उत्पादों को जीएसटी (GST) के तहत लाने की मांग की जा रही है।

संभावित बदलाव:
प्रशांत किशोर के अनुसार, मोदी 3.0 में पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो इन उत्पादों पर अधिकतम 28% तक ही टैक्स लगेगा। इसका मतलब यह होगा कि उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हो सकती हैं।

राज्यों पर प्रभाव:
हालांकि, इस बदलाव का सीधा असर राज्यों के राजस्व यानि (Revenue) पर पड़ेगा। राज्यों के पास अभी राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत हैं: पेट्रोलियम, शराब और भूमि। पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाने से राज्यों का राजस्व घटेगा और वे केंद्र सरकार पर अधिक निर्भर हो जाएंगे। इससे राज्य और केंद्र के बीच वित्तीय संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है।


2. राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता पर अंकुश।

मोदी तो करेंगे ये 4 बड़े बदलाव, प्रशांत किशोर।

वर्तमान स्थिति:
वर्तमान में भारतीय संविधान के अनुसार, राज्यों को अपनी (वित्तीय स्वतंत्रता - आर्थिक आजादी) है और वे अपने हिसाब से टैक्स लगा सकते हैं और खर्च कर सकते हैं। इससे राज्यों को अपनी आर्थिक नीतियों को लागू करने की स्वतंत्रता मिलती है।

संभावित बदलाव:
किशोर ने कहा कि मोदी सरकार राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता में कटौती कर सकती है। इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार राज्यों को मिलने वाले संसाधनों के वितरण में देरी कर सकती है और एफआरबीएम FRBM (फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट) के नियमों को और कठोर बना सकती है। इससे राज्य सरकारों की वित्तीय स्वतंत्रता कम हो जाएगी और वे केंद्र सरकार की नीतियों पर अधिक निर्भर हो जाएंगी।

प्रभाव:
इस बदलाव का व्यापक प्रभाव होगा। राज्यों की विकास योजनाओं और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर असर पड़ेगा। राज्यों की आर्थिक स्वतंत्रता कम होने से केंद्र और राज्यों के बीच सत्ता संतुलन में बदलाव आएगा।

3. प्रशांत किशोर ने कहा भ्रष्टाचार विरोधी नैरेटिव में होगा बदलाव।

प्रशांत किशोर ने कहा भ्रष्टाचार विरोधी नैरेटिव में होगा बदलाव।

वर्तमान स्थिति:
मोदी सरकार ने अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। विभिन्न योजनाओं में पारदर्शिता लाने और डिजिटल इंडिया अभियान के तहत भ्रष्टाचार को कम करने की दिशा में काम किया है।

संभावित बदलाव:
प्रशांत किशोर ने कहा कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार विरोधी नैरेटिव में बड़ा बदलाव कर सकती है। इससे यह संभावना है कि सरकार नए और अधिक प्रभावी तरीके अपनाएगी ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। उदाहरण के तौर पर, सरकारी टेंडरों और अनुबंधों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।

प्रभाव:
भ्रष्टाचार विरोधी उपायों में सुधार से सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और विदेशी निवेश में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, कड़े नियमों और प्रक्रियाओं से सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच असंतोष भी बढ़ सकता है।

4. प्रशांत किशोर ने कहा जियो-पॉलिटिकल मुद्दों पर भारत की मुखरता।

प्रशांत किशोर ने कहा जियो-पॉलिटिकल मुद्दों पर भारत की मुखरता।

वर्तमान स्थिति:
भारत का जियो-पॉलिटिकल रुख हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी उपस्थिति को और मजबूत किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौतों और सम्मेलनों में भाग लिया है।

संभावित बदलाव:
प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी की कि मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारत जियो-पॉलिटिकल मुद्दों पर अधिक मुखर होगा। वैश्विक स्तर पर देशों के साथ व्यवहार करते समय भारत की मुखरता बढ़ेगी। इसका मतलब है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए अधिक आक्रामक और निर्णायक कदम उठा सकता है।

प्रभाव:
इस बदलाव से भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी और भारत अंतरराष्ट्रीय मामलों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरेगा। इससे भारत के आर्थिक और सुरक्षा हितों को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, इस आक्रामक रुख से कुछ देशों के साथ तनाव भी बढ़ सकता है।


प्रशांत किशोर के दावे के अनुसार, नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में चार बड़े बदलाव हो सकते हैं, जो भारत के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य को काफी हद तक प्रभावित करेंगे। पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना, राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता पर अंकुश, भ्रष्टाचार विरोधी नैरेटिव में बदलाव और जियो-पॉलिटिकल मुद्दों पर भारत की मुखरता, ये सभी संभावित बदलाव मोदी सरकार की नीतियों और दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

प्रशांत किशोर का मानना है कि वर्तमान में मोदी सरकार के खिलाफ कोई खास असंतोष नहीं है और न ही कोई मजबूत विकल्प है। उनके अनुसार, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है और यह सरकार धमाकेदार शुरुआत करेगी। इस सभी संभावित बदलावों के साथ, भारतीय राजनीति और समाज में एक नई दिशा देखने को मिल सकती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ